व्यतिपात योग
व्यतिपात योग की ऐसी महिमा है कि उस समय जप पाठ प्राणायम, माला से जप या मानसिक जप करने से भगवान की और विशेष कर भगवान सूर्यनारायण की प्रसन्नता प्राप्त होती है जप करने वालों को, व्यतिपात योग में जो कुछ भी किया जाता है उसका १ लाख गुना फल मिलता है।
वाराह पुराण में ये बात आती है व्यतिपात योग की।
व्यतिपात योग माने क्या कि देवताओं के गुरु बृहस्पति की धर्मपत्नी तारा पर चन्द्र देव की गलत नजर थी जिसके कारण सूर्य देव अप्रसन्न हुऐ नाराज हुऐ, उन्होनें चन्द्रदेव को समझाया पर चन्द्रदेव ने उनकी बात को अनसुना कर दिया तो सूर्य देव को दुःख हुआ कि मैने इनको सही बात बताई फिर भी ध्यान नही दिया और सूर्यदेव को अपने गुरुदेव की याद आई कि कैसा गुरुदेव के लिये आदर प्रेम श्रद्धा होना चाहिये पर इसको इतना नही थोडा भूल रहा है ये, सूर्यदेव को गुरुदेव की याद आई और आँखों से आँसु बहे वो समय व्यतिपात योग कहलाता है। और उस समय किया हुआ जप, सुमिरन, पाठ, प्रायाणाम, गुरुदर्शन की खूब महिमा बताई है वाराह पुराण में।
कथा स्रोत - बडोदा २००८ में १२ नवम्बर को सुबह के दीक्षा सत्र में (स्वामी सुरेशानन्द जी के सत्संग से)
व्यतिपात योग हर महिने में एक बार जरुर आता है वर्ष २००९ में किस तारीख को यह योग आयेगा और उसके अनुमानित समय (दुबई समयानुसार) की सूची निम्न है।
२ जनवरी २००९ को ००.०१ बजे से २२:३८ बजे तक
२७ जनवरी २००९ को ०३:१६ बजे से २८ जनवरी ०३:४३ बजे तक
२१ फ़रवरी २००९ को ०७:१७ बजे से २२ फ़रवरी ०८:०२ बजे तक
१८ मार्च २००९ को ११:५९ बजे से १९ मार्च १२:५० बजे तक
१२ अप्रेल २००९ को १९:३२ बजे से १३ अप्रेल १९:२२ बजे तक
८ मई २००९ को ०३:४१ बजे से ९ मई ०२:४४ बजे तक
२ जून २००९ को १२:२३ बजे से ३ जून ११:१५ बजे तक
२७ जून २००९ को २३:२२ बजे से २८ जून २०:४१ बजे तक
२३ जुलाई २००९ को १६:०८ बजे से २४ जुलाई १२:१७ बजे तक
१८ अगस्त २००९ को ११:१२ बजे से १९ अगस्त ०७:१९ बजे तक
१३ सितम्बर २००९ को ०२:०८ बजे से २३:२९ बजे तक
८ अक्टूबर २००९ को १२:२१ बजे से ९ अक्टूबर १०:०१ बजे तक
२ नवम्बर २००९ को २३:२९ बजे से ३ नवम्बर २१:१४ बजे तक
२८ नवम्बर २००९ को ११:३७ बजे से २९ नवम्बर ०९:५९ बजे तक
२३ दिसम्बर २००९ को १८:५२ बजे से २४ दिसम्बर १९:२० बजे तक
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