मासिक साधना उपयोगी तिथियाँ

व्रत त्योहार और महत्वपूर्ण तिथियाँ

25 फरवरी - माघी पूर्णिमा
03 मार्च - रविवारी सप्तमी (शाम 06:19 से 04 मार्च सूर्योदय तक )
06 मार्च -
व्यतिपात योग (दोपहर 14:58 से 07 मार्च दिन 12:02 मिनट तक)
08 मार्च - विजया एकादशी (यह त्रि स्पृशा एकादशी है )
09 मार्च - शनि प्रदोष व्रत
10 मार्च - महा शिवरात्री (निशीथ काल मध्यरात्री 12:24 से 01:13 तक )
11 मार्च - सोमवती अमावस्या (
सूर्योदय से रात्री 1:23 तक )
11 मार्च - द्वापर युगादी तिथि
14 मार्च - षडशीति संक्रांति (पुण्यकाल शाम 4:58 से
सूर्योदय तक)
19 मार्च - होलाष्टक प्रारम्भ
20 मार्च - बुधवारी अष्टमी (
सूर्योदय से दोपहर 12:12 तक)
23 मार्च - आमलकी एकादशी
24 मार्च - प्रदोष व्रत
26 मार्च - होलिका दहन
27 मार्च - धुलेंडी , चैतन्य महाप्रभु जयंती
29 मार्च - संत तुकाराम द्वितीय
30 मार्च - छत्रपति शिवाजी जयन्ती

बुधवार, 31 अगस्त 2011

गणेश चतुर्थी या कलंकी चौथ


गणेश चतुर्थी को कलंकी भी कहते हैं। इस चतुर्थी को चाँद देखना वर्जित है।

इस वर्ष गणेश चतुर्थी (1 सितम्बर) के दिन चन्द्रास्त रात्रि 9-15 बजे हैं। इस समय तक चन्द्रदर्शन निषिद्ध है।

यदि भूल से भी चौथ का चन्द्रमा दिख जाये तो 'श्रीमद् भागवत' के 10 वें स्कन्ध के 56-57वें अध्याय में दी गयी 'स्यमंतक मणि की चोरी'की कथा का आदरपूर्वक श्रवण करना चाहिए। भाद्रपद शुक्ल तृतिया या पंचमी के चन्द्रमा का दर्शन करना चाहिए, इससे चौथ को दर्शन हो गये हों तो उसका ज्यादा खतरा नहीं होगा।

अनिच्छा से चन्द्रदर्शन हो जाय तो......

निम्न मंत्र से पवित्र किया हुआ जल पीना चाहिए। मंत्र का 21, 54 या 108 बार जप करें। मंत्र इस प्रकार हैः

सिंहः प्रसेनमवधीत् सिंहो जाम्बवता हतः।

सुकुमारक मा रोदीस्तव ह्येष स्यमन्तकः।।

'सुन्दर, सलोने कुमार ! इस मणि के लिए सिंह ने प्रसेन को मारा है और जाम्बवान ने उस सिंह का संहार किया है, अतः तुम रोओ मत। अब इस स्यमंतक मणि पर तुम्हारा ही अधिकार है।'

(ब्रह्मवैवर्त पुराण, अध्यायः78)

चौथ के चन्द्रदर्शन से कलंक लगता है। इस मंत्र प्रयोग अथवा उपर्युक्त पाठ से उसका प्रभाव कम हो जाता है।

स्रोतः ऋषि प्रसाद, अगस्त 2010, पृष्ठ संख्या 27, अंक 212

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