गणेश चतुर्थी को कलंकी भी कहते हैं। इस चतुर्थी को चाँद देखना वर्जित है।
इस वर्ष गणेश चतुर्थी (1 सितम्बर) के दिन चन्द्रास्त रात्रि 9-15 बजे हैं। इस समय तक चन्द्रदर्शन निषिद्ध है।
यदि भूल से भी चौथ का चन्द्रमा दिख जाये तो 'श्रीमद् भागवत' के 10 वें स्कन्ध के 56-57वें अध्याय में दी गयी 'स्यमंतक मणि की चोरी'की कथा का आदरपूर्वक श्रवण करना चाहिए। भाद्रपद शुक्ल तृतिया या पंचमी के चन्द्रमा का दर्शन करना चाहिए, इससे चौथ को दर्शन हो गये हों तो उसका ज्यादा खतरा नहीं होगा।
अनिच्छा से चन्द्रदर्शन हो जाय तो......
निम्न मंत्र से पवित्र किया हुआ जल पीना चाहिए। मंत्र का 21, 54 या 108 बार जप करें। मंत्र इस प्रकार हैः
सिंहः प्रसेनमवधीत् सिंहो जाम्बवता हतः।
सुकुमारक मा रोदीस्तव ह्येष स्यमन्तकः।।
'सुन्दर, सलोने कुमार ! इस मणि के लिए सिंह ने प्रसेन को मारा है और जाम्बवान ने उस सिंह का संहार किया है, अतः तुम रोओ मत। अब इस स्यमंतक मणि पर तुम्हारा ही अधिकार है।'
(ब्रह्मवैवर्त पुराण, अध्यायः78)
चौथ के चन्द्रदर्शन से कलंक लगता है। इस मंत्र प्रयोग अथवा उपर्युक्त पाठ से उसका प्रभाव कम हो जाता है।
स्रोतः ऋषि प्रसाद, अगस्त 2010, पृष्ठ संख्या 27, अंक 212
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