मासिक साधना उपयोगी तिथियाँ
25 फरवरी - माघी पूर्णिमा
06 मार्च - व्यतिपात योग (दोपहर 14:58 से 07 मार्च दिन 12:02 मिनट तक)
08 मार्च - विजया एकादशी (यह त्रि स्पृशा एकादशी है )
09 मार्च - शनि प्रदोष व्रत
10 मार्च - महा शिवरात्री (निशीथ काल मध्यरात्री 12:24 से 01:13 तक )
11 मार्च - सोमवती अमावस्या (सूर्योदय से रात्री 1:23 तक )
11 मार्च - द्वापर युगादी तिथि
14 मार्च - षडशीति संक्रांति (पुण्यकाल शाम 4:58 से सूर्योदय तक)
19 मार्च - होलाष्टक प्रारम्भ
20 मार्च - बुधवारी अष्टमी (सूर्योदय से दोपहर 12:12 तक)
23 मार्च - आमलकी एकादशी
24 मार्च - प्रदोष व्रत
26 मार्च - होलिका दहन
27 मार्च - धुलेंडी , चैतन्य महाप्रभु जयंती
29 मार्च - संत तुकाराम द्वितीय
30 मार्च - छत्रपति शिवाजी जयन्ती
शनिवार, 3 सितंबर 2011
दोषों को दूर भगायें, सदगुणों से जीवन महकायें....
महापुरुषों का अनोखा ढंग....
ब्रह्मनिष्ठ भगवत्पाद स्वामी श्रीलीलाशाहजी महाराज का शिक्षा देने का ढंग एकदम सरल व अनोखा था। एक दिन एक बुजुर्ग जिज्ञासु उनके पास आया और प्रणाम करके कहने लगाः "स्वामी जी ! मैं बहुत दुःखी हूँ।''
स्वामी जीः "एक बात पूछूँ, बताओगे ?"
जिज्ञासुः "स्वामी जी ! समझ में आयेगी तो जरूर बताऊँगा।"
"बिल्कुल आसान बात है।''
"ठीक है, बता दूँगा।"
"बताओ, औलाद प्रिय होती है या अप्रिय ?"
"औलाद सबको प्रिय होती है। इस समय मुझे एक पोता है, उसे सारा दिन घुमाता रहता हूँ, वह मुझे बहुत प्रिय है।"
"मैंने सुना है कि बच्चों को बड़े मारते भी हैं ?"
"हाँ स्वामी जी ! मैंने स्वयं भी कई बार अपने बच्चों को मारा होगा।"
"तुमने स्वयं ही कहा कि औलाद प्रिय होती है, फिर भी औलाद को मारते हो ?''
"औलाद जब गलती करती है, तब उसे डाँटा जाता है कि आगे ऐसी गलती नहीं करे। वह डाँट औलाद की भलाई के लिए होती है।"
"अब तुम कुछ समझे। जिस प्रकार बच्चे अपने माता-पिता को प्रिय होते हैं, उसी प्रकार हम भी परमात्मा की संतान हैं तथा उसे प्रिय हैं। जब हम भूल करते हैं तभी परमात्मा दुःखद परिस्थिति भेजता है। अगर हम भूल ही नहीं करें तो परमात्मा क्यों दुःख भेजेगा। अब जो बीता सो बीता, आगे के लिए तो सुधर जायें। अपनी करनी-कथनी ठीक रखें तो दुःख हमारे निकट ही नहीं आयेंगे। हमें बुराइयों से दूर रहकर उठते-बैठते, चलते-फिरते परमात्मा को अपना समझकर उसके नाम का स्मरण करना चाहिए। सोते हुए भी नाम का स्मरण करना चाहिए क्योंकि राम हैं सुख के धाम। जो जपेगा राम का नाम, उसे मिलेगा आराम।" हे राम ! मेरे राम !
प्यारे राम ! प्रभु राम ! हरि ॐ....
स्रोतः लोक कल्याण सेतु, मार्च 2011, पृष्ठ संख्या 8 अंक 165
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