मासिक साधना उपयोगी तिथियाँ

व्रत त्योहार और महत्वपूर्ण तिथियाँ

25 फरवरी - माघी पूर्णिमा
03 मार्च - रविवारी सप्तमी (शाम 06:19 से 04 मार्च सूर्योदय तक )
06 मार्च -
व्यतिपात योग (दोपहर 14:58 से 07 मार्च दिन 12:02 मिनट तक)
08 मार्च - विजया एकादशी (यह त्रि स्पृशा एकादशी है )
09 मार्च - शनि प्रदोष व्रत
10 मार्च - महा शिवरात्री (निशीथ काल मध्यरात्री 12:24 से 01:13 तक )
11 मार्च - सोमवती अमावस्या (
सूर्योदय से रात्री 1:23 तक )
11 मार्च - द्वापर युगादी तिथि
14 मार्च - षडशीति संक्रांति (पुण्यकाल शाम 4:58 से
सूर्योदय तक)
19 मार्च - होलाष्टक प्रारम्भ
20 मार्च - बुधवारी अष्टमी (
सूर्योदय से दोपहर 12:12 तक)
23 मार्च - आमलकी एकादशी
24 मार्च - प्रदोष व्रत
26 मार्च - होलिका दहन
27 मार्च - धुलेंडी , चैतन्य महाप्रभु जयंती
29 मार्च - संत तुकाराम द्वितीय
30 मार्च - छत्रपति शिवाजी जयन्ती

बुधवार, 15 अक्तूबर 2008

कार्तिक मास माहात्म्य

ॐ श्री गणेशाय नमःॐ श्री सरस्वत्यें नमःॐ श्री गुरुभ्यों नमः
स्कंदपुराण के वैष्णवखण्ड में कार्तिक मास की महत्ता बताते हुए ब्रह्माजी नारद जी से कहते हैं - बेटा ! यह मनुष्य-योनि दुर्लभ हैं। इसे पाकर मनुष्य अपने को इस प्रकार रखे कि उसे पुनः नीचे न गिरना पडे। कार्तिक में सभी देवता मनुष्य से सन्निकट होते हैं और इसमें किये हुए स्नान, दान, व्रत को विधिपूर्वक ग्रहण करते है, जो भी तप किया जाता है, उसे सर्वशक्तिमान भगवान विष्णु ने अक्षय फल देने वाला बतलाया है।
कार्तिक मास के समान कोई मास नहीं, सतयुग के समान कोई युग नही, वेदों के समान कोई शास्त्र नहीं और गंगाजी के समान दूसरा कोई तीर्थ नहीं हैं।दान आदि करने में असमर्थ मनुष्य प्रतिदिन प्रसन्नता पूर्वक नियम से भगवन्नामों का स्मरण करे।
गुरु के आदेश देने पर उनके वचन का कभी उल्लंघन न करे। गुरु की प्रसन्नता से मनुष्य सब कुछ प्राप्त कर लेता है। कार्तिक में सब प्रकार से प्रयत्न करके गुरु की सेवा करे। ऐसा करने से उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।
कार्तिक में अन्नदान अवश्य करना चाहिये। जो मनुष्य कार्तिक मास में प्रतिदिन गीता का पाठ करता है, उसके पुण्यफल का वर्णन करने की शक्ति मुझ में नही है। गीता के समान कोई ग्रन्थ न तो हुआ है और न होगा।
भूमि पर शयन, स्नान, दीपदान, तुलसी के पौधों को लगाना और सींचना, ब्रह्मचर्य का पालन, भगन्नाम संकीर्तन तथा पुराणों का श्रवण - कार्तिक मास में इन सब नियमों का पालन करना चाहिए ।
[ लोक कल्याण सेतु (अंक ६४, १६ अक्टूबर से १५ नवम्बर २००२) के आधार पर ]