दुबईवासियों से पूज्य गुरुदेव ने मांगी गुरु-दक्षिणा
हम लोग अपनी संस्कृति गँवा रहे है। नही नही, यूरोप में चर्चा चली थी विद्वानों की कि हमारे देश की उन्नति और इज्जत, शान-बान कैसे बरकार रहे तो जब तक हम अपनी भाषा को पकडे रहेंगे, अपनी रीति, रस्मों-रिवाजों को पकडे रहेंगे तब तक हमें कोई नीचा दिखा सकता है और जिस दिन हम दूसरों की भाषा और दूसरों के रीति-रस्मों के गुलाम होंगे वह जाति धीरे-धीरे नष्ट हो गयी। वह जाति धीरे-धीरे गुलाम हो गई। कई ऐसे टापू है जो अभी भी अपनी भारतीय संस्कृति को संजोये हुये है। वहाँ विदेशों में पति को पति बोलती है नारी और पत्नी को धर्म-पत्नी बोलता है पति, पुत्र को पुत्र बोलता है पिता और पिता को पिताश्री बोलता है पुत्र और यहाँ पाप्पा, मम्मी, डैडी-डैडा़....... अब बदलो कुछ, जय राम जी की....... आप तो बदलोगें आपके संपर्क में आने वाले भी बदलेंगे।
मैं दुबई गया था। एक हिन्दु और एक मुसलमान दोस्त आपस में टेलीफोन में बात कर रहे हैं। मुसलमान फोन उठाता हैं तो बोलता है "वालेकम-अस-सलाम" और हिन्दु हरि ॐ नही बोलता है, राम राम नही बोलता है, जय भारत नही बोलता, जय हिन्दी नही बोलता है बोलता है "हाय.... हाय.... बाय..... बाय....." मैने दुबई के सत्संग में पूर्णाहुति के समय बोला कि दक्षिणा तो तुम से मैं लूँगा और दक्षिणा में तुमसे ये वचन लेता हूँ कि जब भी टेलीफोन करोगें बेटे या तुम तो "हरि ॐ" या "राम राम" से शुरुवात करना। हाय... बाय... छोडो, वो जब सलामालेकम नही छोडते तो तुम "हरि ॐ" या "राम-राम" क्यों छोड़तें हो भाई।
हिन्दु दोस्त के पास मुसलमान दोस्त पहुँचा है तो उसकी माँ ने कहा अरे ! मोहन ..... वो आयो थे हाफिज आया है। तो मोहन मिला हाफिज से, लेकिन मोहन जब हाफिज के घर गया तो उसकी अम्मा बोलती है कि बैठ जा इधर, मेरा बेटा कुरान पढ़ रहा है। जब जब मोहन गया अपने मित्र से पास उसकी माँ ने बैठा दिया कोने में कि मेरा बेटा मौलवी से कुरान सीख रहा है। लेकिन मुसलमान लडके को कभी किसी हिन्दु माँ ने नही बताया कि मेरा बेटा आज गीता पढ़ रहा हैं। ताली बजाने की बात नही है रोने की बात हैं। शर्म की बात हैं। जय राम जी की......
इन्सान का इतिहास उठाकर देख लो जो अपनी भाषा भूले है जो अपना रीत-रिवाज-रस्म भूले है और जो अपना धर्म-कर्म भूले है वे धीरे-धीरे-धीरे गुलाम हो गये है नष्ट से हो गये है और गुलामी के बीच भी जिन्होने अपनी संस्कृति बचाये रखी संजोये रखी भाषा और अपना उसूल तो उनमें हरियाणा में इसीलिये खुशी था कि जहाँ देखूँ गुरुओं की वाणी के माईक की आवाज आती है जय राम जी की ........ और गुरु की वाणी सुनने में, संत की वाणी सुनने में पंजाब अभी भी जिन्दादिल है जय राम जी की................
अब मै बात कर रहा था उन तीन देवियों की - दूसरी माई कहती है कि कभी-कभी वो आफिस को जाते है या दुकान जाते है तो जल्दीबाजी में पैंट पहनना भूल जाते है और मुझे कपडे लेकर जाने पड़ते है ऐसा भुल्लकड है वो तो तीसरी ने कहा ! छ्ड़ो यार ये गल, मेरा पति तो ग्जब के भुल्लकड है मैं कपडे बाजार में गई कपडे लेने बहु के लिये कपडे लेने थे तो मेरे पतिदेव आफिस से कही जल्दी छूट गये होंगे। बाजार से गुजरे तो दूर से देखा कि मै दुकान में बैठी थी देख रही थी तो खड़े हो गये मेरे नजदीक आकर, तो मैने उनको देख कर थोड़ा हँसी तो वो भी हँसे फिर मैं कपड़े देख रही थी फिर मेरे सामने देखे घूर घूर के देखे तो मेरे को हँसी आ गई मै हँसी तो वो भी हँसे फिर थोडा नजदीक आये मेरे तरफ़ देखा सिर से पैर तक मैने सोचा कि गजब का देख रहे है तो मुझे हँसी आयी तो वो भी हँसे फिर धीरे से और नजदीक आये और मेरे को बोलते है कि बहन जी ओ बहन जी मैने आपको देखा है, बहन जी मैने आपको कही देखा है मै तो दंग रह गई कि जीवन भर साथ रही और वो आज मुझको कहते है कि मुझे लगता है कि मैने आपको कही देखा है इस व्यक्ति पर आपको हँसी आयेगी और आप जिसको सुनायेंगे उसको भी हँसी आयेगी लेकिन उस पति ने उतनी गलती नही की जितनी आप लोग कर रहे हों वो तो पत्नी से २ घण्टे जुदा भी हो गया था, ४ घण्टे जुदा भी हो गया था और दूर गया तो मैने कही आपको देखा है लेकिन आप उस परमेश्वर से कभी जुदा नही हुये और अभी तक उसकी तरफ़ नजर नही जाती कि मैने कही पर तुझे देखा है सुबह तू जगाने वाला था मैने देखा है पत्नि चिल्ला रही है अलार्म बज रहा है लेकिन तू नही जगाता तो मैं नही जगता, तू नाश्ता उठाने के लिये सत्ता नही देता तो मैं नाश्ता नही कर सकता था। मैने वो भी देखा और अभी भी देख रहा हूँ कि तेरी सत्ता से धड़्कन चल रही है जो कुछ देख रहा हूँ तुझी से देख रहा हूँ। इस बात को भी हम भूल गया हूँ। जितना पति भुल्लकड़ था उससे ज्यादा तो हम भुल्लकड़ हो गये है उस व्यक्ति पर तो हमें हँसी आती है कि सुबह देखी पत्नी दोपहर को भूल गया कितना उल्लू का पट्ठा है, लेकिन हम उल्लू का पट्ठे को भी पीछे छोड दे ऐसे पट्ठे हो गये हम तो, क्या कभी सोचा कि सुबह जगाने वाले कितना भी जगाये लेकिन जब तक तू नही जगाता तब तक नही जगते हम, खिलाने वाले कितना भी खिलाये जब तक तू खाने की सत्ता नही देता तब तक खाना खराब हो गया है, समझाने वाले कितना भी समझाये लेकिन जब तक समझने की सत्ता तेरी नही तब तक समझा कुछ भी समझा नही जाता हैं। "सो साहिब सद सदा हूजुरे, अंधा जानत ताको दूरे" तो उस भुल्लकड़ पर हँसने की बजाये हमको अपने ऊपर हँसना चाहिये कि हम उससे भी ज्यादा भुल्लकड है और ऐसी भूल अब ना हो। उस भुल्लकड को याद शक्ति बढाने के लिये मैं कहुँगा कि तुलसी के पत्ते खाया करे। जय राम जी की ............. गाय के घी की मालिश किया करे मेमोरी बढाने के लिये। लेकिन तुम्हारे को इतने से ही नही तुमको तो ये कहना पड़ेगा कि तुम्हारे लिये ये ईलाज है कि हर रोज नियम से जप किया करो, और बार बार उसकी याद किया करो कि यह भूल की आदत मिट जाये। गुरुवाणी में आता है कि " भुलिया जबी आपको तभी हुआ खराब " कभी जाये केदार कभी जाये मक्के, अपना ख्याल नही तो खाये घर घर के धक्के।
स्रोत:- पूज्य गुरुदेव के सत्संग " मैने तुझे कही देखा है " में से लिये गये कुछ अमृत बिन्दु
sadho sadho; dhanbahgi hum jo hume 1992 k bapu ji parvachan sunne ko mile or dhanbahgi wo jisko abhi tak yaad hai,
जवाब देंहटाएंhari om bhaiya...prabhu ki kripa sadaiv ho rahi hai...
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