हर भक्त ईश्वर की, गुरु की पूजा करना चाहता है। इस उद्देश्य से वह धूप, दीप और बाह्य पुष्पों से पूजा की थाली को सजाता है। बाह्य पुष्पों एवं धूप-दीप से पूजा करना तो अच्छा है परंतु इतने से इष्ट या गुरु प्रसन्न नहीं होते। ईश्वर या गुरु की कृपा को शीघ्र पाना हो तो भक्त को अपनी दिलरूपी पूजा की थाली में भक्ति, श्रद्धा, प्रेम, समता, सत्य, संयम, सदाचार, क्षमा, सरलता आदि दैवी सदगुणरूपी पुष्प भी सजाने चाहिए। पवित्र और स्वस्थ मन-मंदिर में मनमोहन की स्थापना करनी हो तो इन पुष्पों की ही आवश्यकता पड़ेगी।
इन फूलों का त्याग करके जो केवल बाह्य फूलों से ही परमात्मा को प्रसन्न करना चाहता है, उस भक्त के हृदय में सच्चिदानन्द भगवान अपने आनंद, माधुर्य, ऐश्वर्य के साथ विराजमान नहीं होते और जहाँ सच्चिदानन्दस्वरूप की प्रतिष्ठा ही न हो वहाँ उनकी पूजा का प्रश्न ही कहाँ पैदा होता है !
इस हकीकत को हृदय में दृढ़ कर लो कि जगत क्षणभंगुर है और हम सब मौत के मुख में बैठे हैं। काल-देवता कब, किस घड़ी किसका ग्रास कर लेंगे इसका पता तक न चलेगा। इसलिए प्रत्येक क्षण सावधान रहो। ईश्वर ने साधन-शक्ति दी है तो दूसरों के सुख का सेतु बनो, किसी के दुःख का कारण तो कभी न बनना। सबका भला चाहो और साथ-साथ सबका भला करो भी। ईश्वर से प्रेम करो और अपने विशुद्ध व्यवहार से आपके स्वामी भगवान, गुरुदेव के प्रति सबको प्रेमभाव जगे ऐसा आचरण करो।
कभी भी हृदय में निराशा को, हताशा को स्थान मत देना और इतना तो पक्का समझना कि दुनिया के सबसे बड़े महापुरुष को ईश्वर ने जितनी शक्ति दी है, उतनी शक्ति तुम्हें भी दी है, फर्क केवल इतना ही है कि उन्होंने जिस निश्चय, विश्वास और साधना से आत्मशक्ति का विकास किया है, वह तुमने नहीं किया है। नहीं तो यदि तुम्हारा दृढ़ निश्चय हो, अविचल विश्वास और नियमित साधना हो तो तुम भी इसी जन्म में ऊँचे-से-ऊँचे ध्येय को सिद्ध कर सकते हो।
अपनी इस अशक्ति को नजर के सामने रखकर तुम उत्साहहीन मत बनाना। तुम शक्तिहीन हो या शक्तिमान किंतु सर्वशक्तिमान प्रभु तो सदा अपने बालकों की सहायता करने के लिए प्रतिक्षण मौजूद हैं। केवल उस शक्ति को पाने के लिए तुम्हारी अपनी तत्परतापूर्वक तैयारी होनी चाहिए।
अतः अपनी पूजा की थाली में कर्तव्य-परायणता, परहित की भावना, शील, संयम, निर्भयता आदि दिव्य सुख प्रदान करने वाले सदगुण अवश्य सजाना। इससे हे मानव ! तेरा कल्याण अवश्य हो जायेगा।
स्रोतः ऋषि प्रसाद, सितम्बर 2010, पृष्ठ संख्या 25, अंक 213
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Nice ...
जवाब देंहटाएंलोग कहते रहे हैं कि मनमोहन जी एक ईमानदार आदमी हैं।
ये कहीं के ईमानदार नहीं हैं।
हमारे प्रधानमंत्री एक कमज़ोर और अक्षम प्रधानमंत्री हैं।
इन्हें सोनिया जी ने इस कुर्सी पर इस लिए बैठा दिया है कि जगह ख़ाली न रहे और जब राहुल जी पूरी फ़ॉर्म में आ जाए तो इन्हें आर्डर देकर हटाया जा सके। कोई लायक़ प्रधानमंत्री होगा तो सीट हमेशा के लिए चली जाएगी ख़ानदान के हाथ से। एक डमी के रोल में हैं पीएम साहब।
जो आदमी पूरे देश के साथ पीएम होने की एक्टिंग कर रहा हो , वह कैसा ईमानदार ?