मासिक साधना उपयोगी तिथियाँ

व्रत त्योहार और महत्वपूर्ण तिथियाँ

25 फरवरी - माघी पूर्णिमा
03 मार्च - रविवारी सप्तमी (शाम 06:19 से 04 मार्च सूर्योदय तक )
06 मार्च -
व्यतिपात योग (दोपहर 14:58 से 07 मार्च दिन 12:02 मिनट तक)
08 मार्च - विजया एकादशी (यह त्रि स्पृशा एकादशी है )
09 मार्च - शनि प्रदोष व्रत
10 मार्च - महा शिवरात्री (निशीथ काल मध्यरात्री 12:24 से 01:13 तक )
11 मार्च - सोमवती अमावस्या (
सूर्योदय से रात्री 1:23 तक )
11 मार्च - द्वापर युगादी तिथि
14 मार्च - षडशीति संक्रांति (पुण्यकाल शाम 4:58 से
सूर्योदय तक)
19 मार्च - होलाष्टक प्रारम्भ
20 मार्च - बुधवारी अष्टमी (
सूर्योदय से दोपहर 12:12 तक)
23 मार्च - आमलकी एकादशी
24 मार्च - प्रदोष व्रत
26 मार्च - होलिका दहन
27 मार्च - धुलेंडी , चैतन्य महाप्रभु जयंती
29 मार्च - संत तुकाराम द्वितीय
30 मार्च - छत्रपति शिवाजी जयन्ती

मंगलवार, 5 जुलाई 2011

संयम का पाठ

बुद्ध के पास उनका एक शिष्य आया और बौखलाए स्वर में बोला, 'जमींदार राम सिंह ने मेरा अपमान किया है। आप अभी चलें। उसे सबक सिखाना होगा।' बुद्ध बोले, 'प्रियवर, सच्चे बौद्ध का अपमान करने की शक्ति किसी में नही होती। तुम इस बात को भुला दो। जब प्रसंग भुला दोगे तो अपमान कहां बचा रहेगा।' शिष्य ने कहा, 'उसने आपके प्रति भी अपशब्दों का प्रयोग किया था। आप चलिए तो सही। आपको देखते ही वह शर्मिंदा हो जाएगा और क्षमा मांग लेगा। इससे मैं संतुष्ट हो जाऊंगा।'बुद्ध कुछ विचार कर बोले, 'अच्छा यदि ऐसी बात है तो मै अवश्य ही रामजी के पास चलकर उसे समझाने का प्रयास करूंगा।' शिष्य ने आतुर होकर कहा, 'चलिए, नहीं तो रात घिर आएगी।' बुद्ध ने कहा, 'रात घिरेगी तो क्या! रात के पश्चात दिन भी तो आएगा। यदि तुम वहां चलना आवश्यक ही समझते हो तो मुझे कल याद दिलाना। कल चलेंगे।' दूसरे दिन बात आई गई हो गई। शिष्य अपने काम में लग गया और बुद्ध अपनी साधना में लीन हो गए। दोपहर होने पर भी शिष्य ने बुद्ध से कुछ नहीं कहा तो बुद्ध ने स्वयं ही शिष्य से पूछा, 'आज रामजी के पास चलना है?' शिष्य ने कहा 'नहीं मैने जब घटना पर फिर से विचार किया तो मुझे इस बात का आभास हुआ कि भूल मेरी ही थी। अब रामजी के पास चलने की कोई जरूरत नहीं है।'

बुद्ध ने मुस्कराकर कहा, '
अगर हम तुरंत प्रतिक्रिया देने से बचें तो हमारे भीतर की कटुता समाप्त हो जाती है।'

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